अगस्त-सितंबर महीने में बढ़ जाते हैं पथरी के मरीज, 20 से 25 मरीज रोजाना पहुँच रहे हैं अस्पताल
ऋषिकेश। अगस्त और सितंबर माह में किडनी में पथरी की शिकायत बढ़ जाती है। क्योंकि इन दिनों वातावरण में आर्द्रता अधिक होती है। जिससे शरीर का पानी पसीने में बाहर निकल जाता है। विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि किडनी की पथरी के उपचार में लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। राजकीय उपजिला चिकित्सालय ऋषिकेश के वरिष्ठ सर्जन डॉ. लोकेश सलूजा बताते हैं कि पेशाब में कैल्शियम, सोडियम, ऑक्सालेट, यूरिक एसिड जैसे खनिज, अम्ल और अन्य पदार्थ होते हैं।
राजकीय उपजिला चिकित्सालय ऋषिकेश के वरिष्ठ सर्जन डॉ. लोकेश सलूजा बताते हैं कि जब पेशाब में इन पदार्थों के कण बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं और शरीर में तरल पदार्थ (पानी आदि) की मात्रा कम होती है तो यह कण आपस में चिपकने लगते हैं। डॉ. सलूजा ने बताया कि अगस्त और सितंबर माह उमस के कारण शरीर से अधिक पसीना बहता है। जिससे शरीर में तरल पदार्थ की कमी हो जाती है। इसलिए इन दिनों किडनी की पथरी की शिकायतें अधिक आती हैं। आजकल उपजिला चिकित्सालय में हर दिन किडनी की पथरी से पीड़ित 20 से 25 मरीज पहुंच रहे हैं।
राजकीय उपजिला चिकित्सालय ऋषिकेश के वरिष्ठ सर्जन डॉ. लोकेश सलूजा बताते हैं कि किडनी की पथरी का सबसे सामान्य लक्षण पीठ के निचले हिस्से, पेट या बगल में दर्द (फ्लैंक पेन) है। इस दौरान ऐसा महसूस हो सकता है कि दर्द कमर से बगल तक फैल गया है। दर्द हल्का या तेज हो सकता है। पेट में अत्यधिक दर्द होना, पेशाब में जलन, उल्टी की संभावना, कभी-कभी पेशाब में खून का आना (पथरी बड़ी होने पर) भी गुर्दे की पथरी के लक्षण हैं।