Breaking News
बुरांश सिर्फ एक लाउंज नहीं उत्तराखंड की जीवंत संस्कृति है- महाराज
देहरादून सिटीजन्स फोरम ने सुरक्षित ड्राइविंग पर सार्वजनिक जागरूकता कार्यक्रम किया आयोजित
रूस ने यूक्रेन पर कर दी क्रूज मिसाइलों की बरसात, ड्रोन्स से भी किया अटैक
राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर बोला तीखा हमला, कहा देश के युवाओं का काटा जा रहा अंगूठा 
आईएमए पासिंग आउट परेड, सेना को मिले 456 युवा अफसर
स्पीड पर लगेगी लगाम – डिवाइडर निर्माण कार्य जारी, लगेगी स्टील रेलिंग
अजय देवगन की फिल्म ‘आजाद’ की रिलीज तारीख से उठा पर्दा, नया पोस्टर आया सामने
10 लाख से अधिक छात्रों की बनी अपार आईडी- डॉ. धन सिंह रावत
आशा रानी पैन्यूली को किया गया देहरादून नेशनल एकेडमी ऑफ डिफेंस की नई निदेशक नियुक्त 

अंबानी-अडानी, खरबपतियों का चंदा कहां?

हरिशंकर व्यास
कैसी हैरानी की बात है कि मोदी राज में सबसे ज्यादा धंधा खरबपतियों का बढ़ा। अडानी जगत सेठ हुआ। अंबानी कुबेरपति हुआ। पैसे से भारत की संस्कृति का ढिंढोरा करता है। इनके साथ टाटा, बिड़ला सहित टॉप के बीस खरबपति दिन-दुनी, रात-चौगुनी की रफ्तार से भारत के लोगों से पैसा कमाते हुए हैं लेकिन वे इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीददारों की लिस्ट से लगभग गायब। यों कुछ जानकार शेल याकि खोखा कंपनियों से बॉन्डस लेन-देन की बारीकी तलाश रहे हैं। लेकिन मोटा मोटी मोदी सरकार की इलेक्टोरल बॉन्ड योजना में जुआरियों, सटोरियों, काला बाजारियों और ठेकेदारों से ही चुनाव और राजनीति के नाम पर वसूली हुई दिखती है। और यह हैरानी की बात है।

तभी अपना सवाल है कि सरकारी प्रोजेक्टों और मुंबई, दिल्ली आदि महानगरों के ठेकेदारों, बिल्डरों की इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदने-देने के साथ सौदेबाजी का यदि सीक्वेंस है तो भला विनिवेश, खान आवंटन से लेकर अंतरराष्ट्रीय सौदों, खरीद-फरोख्त के खरबपतियों के कारोबार की वसूली का क्या रूप है? जब चिंदीमार, खोखा कंपनियों को ईडी, सीबीआई, आईटी से लाइन हाजिर करा वसूली हुई है तो खरबपतियों के लेवल का चंदा कहां गया? क्या इस रीति-नीति पर चला गया कि छोटे कारोबारी भाजपा पार्टी के लिए और वैश्विक खरबपति किसी और काम के लिए?

भला और क्या काम हो सकता है? आप ही अनुमान लगाएं। लुटियन दिल्ली में जितने मुंह उतनी बात है। मगर इतना तय है कि भारत के टॉप सौ अरबपतियों की कंपनियों में बिना इलेक्टोरल बॉन्ड्स के कई नाम निकल आएंगे। और फिर यदि इनकों नौ वर्षों में मिली सरकारी कंपनियों, विनिवेश, लाइसेंसों की पूरी सूची के साथ तुलना करें तो वह क्या आंख खोल देने वाली नहीं होगी?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top