Breaking News
कांग्रेस शासनकाल में ठप हुआ कोटद्वार नगर का विकास- सीएम धामी
कांग्रेस शासनकाल में ठप हुआ कोटद्वार नगर का विकास- सीएम धामी
महाराज ने पौड़ी में मुख्यमंत्री से चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का किया अनुरोध
महाराज ने पौड़ी में मुख्यमंत्री से चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का किया अनुरोध
जिला चिकित्सालय पौड़ी की व्यवस्थाएं चाक-चौबंद- डॉ. धन सिंह रावत
जिला चिकित्सालय पौड़ी की व्यवस्थाएं चाक-चौबंद- डॉ. धन सिंह रावत
निकाय चुनाव में भाजपा की जीत बनेगी टिहरी के विकास की गारंटी
निकाय चुनाव में भाजपा की जीत बनेगी टिहरी के विकास की गारंटी
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो 2025 में प्रदर्शनी का किया अवलोकन
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो 2025 में प्रदर्शनी का किया अवलोकन
चुनाव अपराधों में हो सकती है छः वर्ष तक की सजा
चुनाव अपराधों में हो सकती है छः वर्ष तक की सजा
गणतंत्र दिवस की परेड का रिहर्सल आज से शुरु, कई रास्तों पर यातायात रहेगा प्रभावित
गणतंत्र दिवस की परेड का रिहर्सल आज से शुरु, कई रास्तों पर यातायात रहेगा प्रभावित
क्या आप भी चेहरे की नमी दूर करने के लिए लगाते हैं तेल, तो जान लीजिए इसके नुकसान
क्या आप भी चेहरे की नमी दूर करने के लिए लगाते हैं तेल, तो जान लीजिए इसके नुकसान
योगनगरी ऋषिकेश की धर्मधाद ने भाजपा- कांग्रेस की उड़ाई नींद
योगनगरी ऋषिकेश की धर्मधाद ने भाजपा- कांग्रेस की उड़ाई नींद

धार्मिक स्थलों या तीर्थस्थलों के संबंध में कोई नया मुकदमा दर्ज नहीं किया जायेगा- सुप्रीम कोर्ट

धार्मिक स्थलों या तीर्थस्थलों के संबंध में कोई नया मुकदमा दर्ज नहीं किया जायेगा- सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली।  सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को निर्देश दिया कि धार्मिक स्थलों या तीर्थस्थलों के संबंध में कोई नया मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता है या जिला अदालतों द्वारा सर्वेक्षण का आदेश तब तक नहीं दिया जा सकता है जब तक कि उपासना स्थल अधिनियम, 1991 की वैधता से संबंधित मामला उसके समक्ष लंबित है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, “जब मामला इस अदालत के समक्ष विचाराधीन है तो क्या अन्य लोगों के लिए इस पर अपना हाथ नहीं डालना उचित नहीं होगा।” शीर्ष अदालत ने कहा कि हालांकि नए मुकदमे दायर किए जा सकते हैं लेकिन उन्हें पंजीकृत नहीं किया जाएगा और जिला अदालतों द्वारा कोई प्रभावी आदेश पारित नहीं किया जाएगा।

साथ ही शीर्ष अदालत ने 1991 के कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार को चार सप्ताह का और समय दिया। याचिकाओं के एक समूह पर विचार करते हुए अदालत ने यह भी कहा कि कानून के क्रियान्वयन की मांग करने वाली याचिका पर भी केंद्र द्वारा कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है। नवगठित पीठ ने नए मुकदमों पर विचार करने पर रोक लगाने के आदेश के विरोध को खारिज कर दिया। कानून की वैधता को चुनौती देने वालों की ओर से पेश वकीलों ने इस आदेश का विरोध किया था। पीठ ने कहा, “मुकदमे दायर किए जाने पर भी कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती। जब मामला इस अदालत के समक्ष विचाराधीन है तो क्या दूसरों के लिए इस पर रोक लगाना उचित नहीं होगा। जब तक हम मामले की जांच नहीं कर लेते, तब तक कोई प्रभावी आदेश या सर्वेक्षण आदेश पारित नहीं किया जा सकता।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top