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नई शिक्षा नीति में छात्रों के समग्र विकास पर ध्यान दिया जाएगा

वर्तमान भारत में नई शिक्षा नीति 2020

कोटद्वार। शिक्षा का व्यापक अर्थ विकास की प्रक्रिया से लिया जाता है जो शैशवास्था से प्रौढावस्था तक चलती है या शिक्षा किसी भी समाज में चलने वाली वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का विकास, उसके ज्ञान, कला एवं कौशल में वृद्धि तथा व्यवहार में परिवर्तन किया जा सके और उसे सभ्य व योग्य नागरिक बनाया जा सके।

शिक्षा नीति में ज्ञान आधारित सृजनात्मकता व रचनात्मकता के साथ प्रारम्भिक शिक्षा से लेकर उच्चतर शिक्षा का खाका है। शिक्षा की पद्धति में सुधार, नवाचार व अनुसंधान के साथ विद्यार्थी केन्द्रित होती है।

शिक्षा व्यवस्था को प्रभावशाली और गुणवत्तापूर्ण बनाये रखने के लिए समय समय पर शिक्षा नीति में बदलाव किया जाता है। अब 1986 से लागू राष्ट्रीय शिक्षा नीति में परिवर्तन कर नई शिक्षा नीति 2020 लाई गई है। इसका उद्देश्य प्रारूप में बदलाव करके भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को वैश्विक स्तर तक ले जाना है। इसमें स्कूल से लेकर कॉलेज तक की शिक्षा नीति में बदलवाव किया गया है। नई शिक्षा नीति में संकल नामांकन अनुपात को 2030 तक सौ प्रतिशत लाने का लक्ष्य रखा गया है। पुरानी शिक्षा नीति की खामियों में सुधार कर नये पाठ्यक्रम को लाया गया है। इसमें विशेष ध्यान दिया गया है कि नया पाठ्यक्रम सरल और सहज हो, जिसे विद्यार्थी आसानी से समझा सकें, पाठ्यक्रम सरल को रुचिपूर्ण तकनीकी ज्ञान और उसकी ट्रेनिंग भी सम्मिलित है। नई शिक्षण नीति में शिक्षण व्यवस्था 5 +3 + 3 + 4 की प्रक्रिया में होगी, जो पुरानी प्रक्रिया 10 + 2 के आधार पर अलग है। नई शिक्षा नीति 2020 के कई फायदे और नुकसान भी है।

नई शिक्षा नीति में छात्रों के समग्र विकास यानी ज्ञान के साथ संज्ञात्मक, सामाजिक, स्वास्थ्य और कौशल पर ध्यान दिया जायेगा। कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों को वोकेशनल ट्रेनिंग दी जायेगी जिसमें बागवानी, मिट्टी के बर्तन बनाना, बिजली का काम शामिल है। सीखने का आसान व लचीला तरीका, छात्र अपनी रूचि के अनुसार और कैरियर के अनुसार विषय चुन सकेंगें। छात्रों को पहले की तरह ही आर्टस, साइंस और कॉमर्स में से कोई एक नहीं चुनना पड़ेगा, वो चाहे तो तीनों वर्गों के विषय चुन सकता है। पाठ्यक्रम का बोझ भी कम किया गया है।

नई शिक्षा नीति में प्रौद्योगिकी के एकीकरण पर जोर दिया गया है जिसमें शिक्षक अपनी शिक्षण कुशलता बढ़ाने, विविध शिक्षण शैली और इंटरैक्टिव शिक्षण का अनुभव प्राप्त करने के लिए डिजिटल मॉडल, ऑनलाइन संसाधन और शैक्षिक एप्स का लाभ उठा सकते है। छात्र भी आधुनिक तकनीकी प्राप्त कर सकते हैं, नई शिक्षा नीति समावेशी शिक्षा को प्राथमिकता देती है जिसमें हाशिये पर रखे गये समुदायों व विकलांगों को समान अवसर सुनिश्चित किए जायेगी। यह सहायक शिक्षण वातावरण को बढ़ावा देता है जो छात्रों के बीच सहानुभूति और समझ को बढ़ावा देता है। नई शिक्षा नीति 2020 में कौशल विकास को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है जिसमें सोच, संचार, समस्या समाधान और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा दिया गया है जिससे रोजगार बढ़ता है। संगीत, कला खेल पाककला आदि विधाओं को मजबूत किया गया है ताकि छात्रों के विकास के साथ देश का विकास भी हो सके।

शिक्षण कुशलता बढ़ाने, विविध शिक्षण शैली और इंटरैक्टिव शिक्षण का अनुभव प्राप्त करने के लिए डिजिटल मॉडल, ऑनलाइन संसाधन और शैक्षिक एप्स का लाभ उठा सकते है। छात्र भी आधुनिक तकनीकी प्राप्त कर सकते हैं, नई शिक्षा नीति समावेशी शिक्षा को प्राथमिकता देती है जिसमें हाशिये पर रखे गये समुदायों व विकलांगों को समान अवसर सुनिश्चित किए जायेगी। यह सहायक शिक्षण वातावरण को बढ़ावा देता है जो छात्रों के बीच सहानुभूति और समझ को बढ़ावा देता है। नई शिक्षा नीति 2020 में कौशल विकास को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है जिसमें सोच, संचार, समस्या समाधान और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा दिया गया है जिससे रोजगार बढ़ता है। संगीत, कला खेल पाककला आदि विधाओं को मजबूत किया गया है ताकि छात्रों के विकास के साथ देश का विकास भी हो सके।

नई शिक्षा नीति में लाभ के साथ कुछ कमियां भी है जिसमें महत्वपूर्ण है छात्रों पर दवाब और प्रतिस्पर्धा में संभावित वृद्धि है क्योंकि यह मानवीकृत परीक्षाओं के महत्व पर जोर देती है और प्रारंभिक वर्षों से शुरू करके कई स्तरों पर बोर्ड परीक्षाओं को प्रोत्साहित करती है। यह छात्रों का ध्यान ग्रेड और प्रदर्शन पर ज्यादा केन्द्रित करती है जिससे छात्रों के समग्र विकास में बाधा उत्पन्न हो सकती है। बहुत ही महत्वपूर्ण है डिजिटल बुनियादी ढाचें में असन्तुलन, ई-लर्निंग प्लेटफार्म पर

महत्वपूर्ण है। हमारे देश में सभी छात्रों के पास डिजिटल उपकरणों, इंटरनेट या ऑनलाइन सीखने के लिए आवश्यक संसाधनों की पहुंच नहीं है। ऐसे में आर्थिक रूप से वंचित छात्र को हाशिये पर रखा जा सकता है जिससे शैक्षिक असमानता बढ़ सकती है। नई शिक्षा नीति में शिक्षण प्रशिक्षण एवं सहयोग पर फोकस किया गया है जिसमें निरंतर व्यावसायिक विकास और प्रोत्साहन के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देशों की कमी है, जो कि कक्षा में दी जाने वाली शिक्षा को प्रभावित करेगा, नई शिक्षा नीति में भाषा नीति और क्षेत्रीय भाषा अधिकतर राज्यों के लिए विवाद का विषय बना हुआ है। शैक्षणिक संस्थानों में सक्षम शिक्षक ढूंढना, मातृभाषा में अध्ययन सामग्री को लाना चुनौतीपूर्ण है, जहाँ निजी संस्थानों में अंग्रेजी सिखाने पर फोकस रहेगा, जबकि सरकारी स्कूल में छात्रों को क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाया जायेगा। यह नई शिक्षा नीति की प्रमुख कमियों में से एक है, क्योंकि प्राइवेट व सरकारी स्कूलों के छात्रों के बीच गैप बढने की आशंका ज्यादा है।

हालांकि नई शिक्षा नीति में शुरूआत में कई बदलाव किये गये है जिसमें सुधार केन्द्र व राज्य सरकार के सहयोग से लागू किया जायेगा। भारत सरकार का लक्ष्य 2040 तक नई शिक्षा नीति को स्थापित करना है।

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