संनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए यूरोप यात्रा पर जायेंगे मंहत महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज
देवभूमि के धार्मिक स्थलों की जानकारी को जन-जन तक पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण होगी यूरोप यात्रा
देहरादून। सनातन धर्म की परंपराओं को जीवित रखने और परिवारों में संस्कार पैदा करने के काम में जुटी तुलसी मानस मंदिर रामायण प्रचार समिति ऋषिकेश ने विदेश यात्रा की तरफ अपने कदम बढ़ाए हैं। सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार के साथ ही धार्मिक स्थलों की जानकारी को जन -जन तक पहुंचाने के लिए तुलसी मानस मंदिर रामायण प्रचार समिति ऋषिकेश के अध्यक्ष महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज यूरोप यात्रा पर जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ऐसे आयोजनों से धर्म संस्कार को बल मिलता है।
वह भारतीय मूल व विदेशी नागरिकों से मिलकर भारत भूमि की महक उन सभी तक पहुंचाने का कार्य करेंगे। वह उन्हें भारतीय संस्कृति और आध्यात्म के महात्म से परिचित कराने का कार्य करेंगे। हम सभी को अपने धर्म, संस्कृति और माटी से अगाध प्रेम है। वह प्रवासियों को भारत भूमि की मिट्टी से निरन्तर जुड़े रहने का आग्रह भी करेंगे। यूरोप में रह रहे हिंदू समुदाय के लोग अपने धर्म और संस्कृति को लेकर बेहद सजग हैं। विदेश में रहकर भी वे भारतीय संस्कृति और यहां के मूल्यों से जुड़े हुए हैं।
महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज अध्यक्ष तुलसी मानस मंदिर रामायण प्रचार समिति ऋषिकेश ने कहा संनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए वैदिक फाउंडेषन हिमालय योगालय आश्रम के संस्थापक/अध्यक्ष स्वामी शंकर तिलक जी महाराज के सानिध्य में विदेश यात्रा का आमंत्रण मिला है। स्वामी षंकर तिलक जी महाराज के सानिध्य में यूरोप आध्यत्मिक यात्रा में जाने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ है। उनकी यह आध्यात्मिक यात्रा पर यूरोप, स्पेन, हंगरी, हॉलैंड, बुडापेस्ट तक निरंतर जारी रहेगी। जिस तरह मां गंगा की धारा अविरल बह रही है उसी तरह संत जनकल्याण की धारा पूरे विश्व में प्रवाहित करते रहे हैं। उनकी यह यात्रा आम जनमानस के सुख, सृमद्वि व सभी के जनकल्याण के लिए है। इसमें सनातन संस्कृतियों के आदान-प्रदान के साथ विदेशी जनमानस को उत्तराखंड के धार्मिक पौराणिक स्थलों से अवगत कराया जायेगा। सभी को भारत भ्रमण के लिए आमंत्रित किया जायेगा।
महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज अध्यक्ष तुलसी मानस मंदिर रामायण प्रचार समिति ऋषिकेश ने युवाओं में बढ़ती नषे की आदत पर चिंता जाहिर करते हुए कहा हम युवाओं को सही संस्कार नहीं दे पाये हैं। हमें युवाओं को सनातन संस्कृति से जोड़कर रखना होगा। युवाओं को सोचना होगा कि उनका जीवन संसार के लिए है। उन्हें समाज के उत्थान के लिए कार्य करना होगा। उन्होंने बताया कि वैदिक फाउंडेषन हिमालय योगालय आश्रम के संस्थापक/अध्यक्ष स्वामी षंकर तिलक जी महाराज अब तक 56 हजार से अधिक साधकों को धर्म प्रचार के लिए विश्व भ्रमण पर भेज चुके हैं। जिसमें बड़ी संख्या युवाओं की भी है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि इससे आध्यात्मिक रोजगार को बढावा मिलेगा। साथ ही सनातन धर्म की परंपराओं को जीवित रखने और परिवारों में संस्कार पैदा करने में भी मदद मिलेगी।